मंकीपॉक्स: खतरा और बचाव
परिचय
हाल ही में अफ्रीका से फैला खतरनाक मंकीपॉक्स वायरस पड़ोसी देश पाकिस्तान तक पहुंच चुका है। 15 अगस्त को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। अब तक दुनिया भर में इस बीमारी के 20,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और 537 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में इस वायरस के बारे में जानकारी, इसके खतरों और बचाव के उपायों को समझना अत्यंत आवश्यक है।
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स की पहली बार पहचान 1958 में हुई थी जब डेनमार्क में शोध के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण सामने आए। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में कांगो में 9 साल के बच्चे में पाया गया। यह बीमारी मुख्य रूप से चूहों और गिलहरियों जैसे रोडेंट्स के माध्यम से फैलती है, लेकिन इंसानों को भी प्रभावित कर सकती है।
वर्तमान स्थिति और सरकारी प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस खतरे को गंभीरता से लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में मंकीपॉक्स से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की। सरकार ने हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर सतर्कता बरतने, प्रयोगशालाओं को जांच के लिए तैयार रखने और अन्य सुविधाओं को सुसज्जित रखने का निर्णय लिया है।
बचाव के उपाय
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लोगों को लक्षणों और बचाव की रणनीतियों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है:
लक्षण: इस बीमारी के लक्षण चेचक जैसे होते हैं, जिसमें बुखार, दाने, और सूजे हुए लिम्फ नोड्स शामिल हैं, जो गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं।
बचाव: स्वच्छता बनाए रखना, संक्रमित जानवरों के संपर्क से बचना, और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) का उपयोग करना वायरस के प्रसार को रोकने में सहायक हो सकता है।
टीकाकरण: हालांकि मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष टीका नहीं है, चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में 85% तक प्रभावी साबित हुआ है।
निष्कर्ष
जैसे-जैसे मंकीपॉक्स भारत की सीमाओं के करीब पहुंच रहा है, जागरूकता और तैयारी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। भारत सरकार के सक्रिय उपायों के साथ-साथ जन जागरूकता व्यापक प्रकोप के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती है।
मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 5 से 21 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। ये लक्षण दो चरणों में बंटे होते हैं:
प्रारंभिक चरण (पहला सप्ताह):
- बुखार: अचानक तेज़ बुखार आना।
- सिरदर्द: गंभीर सिरदर्द होना।
- मांसपेशियों में दर्द: शरीर में मांसपेशियों और पीठ में दर्द।
- थकान: अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना।
- लिम्फ नोड्स का सूजन: गर्दन, बगल, और जांघों के लिम्फ नोड्स का सूजना (जो कि चेचक से इसे अलग करता है)।
दूसरा चरण (बुखार के 1-3 दिनों बाद):
- त्वचा पर दाने: बुखार के कुछ दिनों बाद त्वचा पर दाने निकलना शुरू होते हैं। यह दाने चेचक जैसे होते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे चेहरे, हाथ, पैर, और जननांगों पर निकलते हैं।
- दाने का विकास: ये दाने पहले लाल धब्बों के रूप में शुरू होते हैं, फिर छोटे पुटिकाएं (ब्लिस्टर) बनते हैं जिनमें द्रव भरा होता है। बाद में ये पुटिकाएं फट जाती हैं और इनसे खुरंड (स्कैब) बन जाता है।
- खुजली: दाने के साथ-साथ खुजली भी होती है।
- घाव और अल्सर: कुछ मामलों में, दाने घाव या अल्सर में बदल सकते हैं।
गंभीरता:
- यह बीमारी आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहती है और ज्यादातर मामलों में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं, खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में।
इन लक्षणों के दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेना और संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
मंकीपॉक्स वायरस की खोज पहली बार 1958 में हुई थी। यह तब हुआ जब डेनमार्क में शोध के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप (outbreaks) सामने आए। यही कारण है कि इसे "मंकीपॉक्स" नाम दिया गया। हालांकि, इंसानों में इस बीमारी का पहला मामला 1970 में कांगो (वर्तमान में, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) में पाया गया था। उस समय, एक 9 वर्षीय लड़के में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।