भोपाल: मध्य प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले को लेकर नई नीति पर काम चल रहा है। राज्य सरकार ने एक नया ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें 15 दिन के लिए तबादले पर रोक हटाने का प्रस्ताव है। हालांकि, जिले के भीतर तबादले के लिए प्रभारी मंत्री की मंजूरी अनिवार्य होगी।
20 अगस्त को कैबिनेट बैठक में हो सकता है निर्णय:
सूत्रों के अनुसार, यह नई तबादला नीति 20 अगस्त को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए रखी जा सकती है। अगर यह नीति पास हो जाती है, तो इससे राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले में आसानी होगी।
क्या है नई नीति में:
- 15 दिन का बैन हटेगा: मौजूदा समय में राज्य में तबादले पर 15 दिन का बैन लगा हुआ है। नई नीति के अनुसार, इस बैन को हटा दिया जाएगा।
- जिले के भीतर तबादले के लिए मंत्री का अप्रूवल: हालांकि, जिले के भीतर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का तबादला करने के लिए संबंधित प्रभारी मंत्री की मंजूरी अनिवार्य होगी।
क्यों लाया गया है नया ड्राफ्ट:
- तबादलों में पारदर्शिता लाना: सरकार का मानना है कि नई नीति से तबादलों में पारदर्शिता आएगी और मनमानी पर रोक लगेगी।
- अधिकारियों और कर्मचारियों की सुविधा: नई नीति से अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने परिवार के साथ रहने और काम करने का मौका मिलेगा।
आगे क्या:
अब देखना होगा कि 20 अगस्त को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस नई तबादला नीति को मंजूरी मिलती है या नहीं। अगर यह नीति पास हो जाती है, तो इसका राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या असर पड़ता है, यह देखने वाली बात होगी।
यह आर्टिकल आपके द्वारा दिए गए पाठ के आधार पर तैयार किया गया है। अधिक जानकारी के लिए आप संबंधित समाचार चैनलों या वेबसाइटों को देख सकते हैं।
मौजूदा नीति में क्या था:
- तबादले पर प्रतिबंध: कुछ समय पहले तक राज्य में कर्मचारियों के तबादले पर प्रतिबंध लगा हुआ था।
- छूट: हालांकि, कर्मचारियों की मांग पर कुछ समय के लिए इस प्रतिबंध में छूट दी गई थी।
- चुनाव का प्रभाव: चुनाव के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले पर रोक लगाई गई थी।
- विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारी: चुनाव से जुड़े कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, शिक्षक और पटवारी जैसे कर्मचारियों के तबादले नहीं हुए थे।
- तीन साल का नियम: चुनाव आयोग के निर्देशानुसार तीन साल से एक ही जगह पर तैनात अधिकारियों के तबादले किए गए थे।
- जिले के भीतर तबादले: जिलों के भीतर प्रभारी मंत्रियों के अनुमोदन से तबादले किए गए थे।
नई नीति में क्या है:
इमेज में दी गई जानकारी के आधार पर, नई तबादला नीति के बारे में अधिक स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह केवल मौजूदा नीति के बारे में कुछ बिंदुओं को उजागर करती है।
क्या बदल सकता है:
नई नीति में निम्नलिखित परिवर्तन हो सकते हैं:
- तबादले की प्रक्रिया: तबादले की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और मेरिट आधारित बनाया जा सकता है।
- विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग नियम: विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग तबादला नियम बनाए जा सकते हैं।
- तबादले की आवृत्ति: कर्मचारियों के तबादले की आवृत्ति में बदलाव किया जा सकता है।
- तबादले के लिए पात्रता: तबादले के लिए पात्रता मानदंडों में बदलाव किया जा सकता है।
क्यों बदलाव:
- पारदर्शिता: नई नीति का उद्देश्य तबादले की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और भ्रष्टाचार को रोकना है।
- कार्यकुशलता: यह नीति कर्मचारियों को उनके कार्य में अधिक कुशल बनाने और प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगी।
- कर्मचारियों की संतुष्टि: यह नीति कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ाने और उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने के अधिक अवसर प्रदान करेगी।
मध्य प्रदेश की नई तबादला नीति: पुलिस और प्रशासनिक सेवा पर विशेष फोकस
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के तबादले को लेकर एक नई नीति लागू की है। इस नीति में पुलिस विभाग और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादलों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
पुलिस विभाग:
- डीएसपी और उससे ऊपर के अधिकारी: इन अधिकारियों के तबादले के लिए पुलिस स्थापना बोर्ड के दिशानिर्देशों और विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी होगी।
- जिले के भीतर डीएसपी से नीचे के अधिकारी: इन अधिकारियों के तबादले का निर्णय पुलिस स्थापना बोर्ड लेगा। पुलिस अधीक्षक, प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद आदेश जारी करेंगे।
राज्य प्रशासनिक सेवा:
- राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी: इन अधिकारियों के तबादले मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) करेगा।
- जिले के भीतर कलेक्टर: कलेक्टर, प्रभारी मंत्री से विचार-विमर्श कर डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर आदि के तबादले करेंगे।
नई नीति के उद्देश्य:
- पारदर्शिता: तबादले की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और भ्रष्टाचार को रोकना।
- मेरिट आधारित: तबादले मेरिट के आधार पर किए जाएं।
- कार्यकुशलता: कर्मचारियों को उनके कार्य में अधिक कुशल बनाने और प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करना।
- कर्मचारियों की संतुष्टि: कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ाना और उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने के अधिक अवसर प्रदान करना।
इस नीति से क्या बदलाव आएंगे:
- पुलिस विभाग में स्थिरता: पुलिस विभाग में अधिकारियों के लगातार तबादलों पर रोक लगेगी, जिससे पुलिसिंग में स्थिरता आएगी।
- प्रशासनिक सुधार: प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार होगा और कर्मचारी अधिक जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे।
- राजनीतिक हस्तक्षेप में कमी: तबादलों में राजनीतिक हस्तक्षेप कम होगा।
राज्य प्रशासनिक सेवा:
- राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी: इन अधिकारियों के तबादले मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) करेगा।
- जिला स्तरीय अधिकारी: जिले के भीतर कलेक्टर, प्रभारी मंत्री से विचार-विमर्श कर डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार और नायब तहसीलदार के तबादले का निर्णय लेगा।
- तीन साल का नियम: ऐसे क्लास वन और क्लास टू अधिकारी, जिन्हें जिलों में तीन साल पूरे हो गए, उनका दूसरे जिलों में ट्रांसफर राज्य सरकार करेगी।
- क्लास थ्री कर्मचारी: जिले में तीन साल पूरे करने वाले क्लास थ्री कैटेगरी के कार्यपालिक अधिकारियों-कर्मचारियों का भी ट्रांसफर किया जा सकेगा।
इस नीति से क्या बदलाव आएंगे:
- राज्य प्रशासनिक सेवा में स्थिरता: राज्य प्रशासनिक सेवा में अधिकारियों के लगातार तबादलों पर रोक लगेगी, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था में स्थिरता आएगी।
- प्रशासनिक सुधार: प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार होगा और कर्मचारी अधिक जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे।
- राजनीतिक हस्तक्षेप में कमी: तबादलों में राजनीतिक हस्तक्षेप कम होगा।
निष्कर्ष:
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई नई तबादला नीति राज्य के प्रशासनिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। यह नीति राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादलों को प्रभावित करेगी। हालांकि, इस नीति के सभी पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलने के बाद ही इसके बारे में अधिक ठोस निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।
क्या आप इस नीति के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं?
अतिरिक्त जानकारी:
- खुद के खर्च पर: इमेज में अंतिम पंक्ति "खुद के खर्च पर" का अर्थ स्पष्ट नहीं है। यह संभव है कि यह किसी विशेष प्रकार के तबादले या अन्य प्रशासनिक प्रक्रिया से संबंधित हो।
- तहसीलदारों के तबादले: इमेज में तहसीलदारों के तबादले के बारे में भी उल्लेख है। यह दर्शाता है कि नई नीति न केवल उच्च स्तर के अधिकारियों बल्कि निम्न स्तर के अधिकारियों के तबादलों को भी प्रभावित करेगी।
- क्लास थ्री कर्मचारी: क्लास थ्री कर्मचारियों के तबादले के बारे में भी उल्लेख है। यह दर्शाता है कि नई नीति सभी स्तर के कर्मचारियों को कवर करेगी।
स्वयं के खर्च पर तबादले:
- आवेदन: कर्मचारी स्वयं के खर्च पर तबादले के लिए ऑनलाइन या कार्यालय प्रमुख को आवेदन दे सकते हैं।
- अलग-अलग आदेश: स्वयं के खर्च पर या प्रशासनिक कारणों से किए गए तबादलों के आदेश अलग-अलग जारी किए जाएंगे।
- प्राथमिकता: स्वयं के खर्च पर तबादले का आवेदन देने वाले ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने पिछले वित्तीय वर्ष में तय किए गए टारगेट को पूरा किया हो।
- रिटायर होने वाले, बीमार और पति-पत्नी: जो अधिकारी या कर्मचारी एक साल या उससे कम समय में रिटायर हो रहे हैं, उनका तबादला नहीं किया जाएगा। पति-पत्नी एक साथ ट्रांसफर का आवेदन देते हैं तो उनका ट्रांसफर किया जा सकेगा।
नई नीति के उद्देश्य:
- कर्मचारियों की सुविधा: कर्मचारियों को अपनी पसंद के स्थान पर जाने का अवसर प्रदान करना।
- प्रशासनिक सुविधा: प्रशासन को तबादलों को व्यवस्थित करने में मदद करना।
- कार्यकुशलता: कर्मचारियों को उनके कार्य में अधिक कुशल बनाने और प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करना।
इस नीति से क्या बदलाव आएंगे:
- कर्मचारियों के पास अधिक विकल्प: कर्मचारियों के पास अब अपने करियर के विकल्पों को बढ़ाने के लिए अधिक विकल्प होंगे।
- प्रशासनिक लचीलापन: प्रशासन को कर्मचारियों को विभिन्न स्थानों पर तैनात करने में अधिक लचीलापन मिलेगा।
- कार्यकुशलता में वृद्धि: कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ने से कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
विशेष परिस्थितियां और प्रावधान:
- रिटायर होने वाले कर्मचारी: यदि कोई कर्मचारी एक साल या उससे कम समय में रिटायर होने वाला है, तो उसका तबादला नहीं किया जाएगा। इसका उद्देश्य सेवाकाल के अंतिम समय में कर्मचारी को अनावश्यक परेशानी से बचाना है।
- पति-पत्नी का एक साथ तबादला: यदि पति-पत्नी दोनों ही सरकारी कर्मचारी हैं और एक साथ तबादले का आवेदन करते हैं, तो उनकी नियुक्ति की जगह प्रशासनिक जरूरतों के आधार पर तय की जाएगी। यह प्रावधान परिवारों को एक साथ रहने का अवसर प्रदान करता है।
- गंभीर बीमारी से ग्रस्त कर्मचारी: यदि कोई कर्मचारी गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी खराब होना या हृदय रोग से ग्रस्त है और नियमित जांच कराना आवश्यक है, तो उसे जहां ट्रांसफर होता है वहां ये सुविधा नहीं है तो मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर उनकी चाही गई जगह पर ट्रांसफर हो सकेगा। यह प्रावधान बीमार कर्मचारियों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त करने में मदद करेगा।
- दिव्यांग कर्मचारी: जो कर्मचारी 40% या उससे अधिक दिव्यांग श्रेणी में आते हैं, उनके ट्रांसफर नहीं होंगे। वे चाहें तो खुद से ट्रांसफर ले सकेंगे। यह प्रावधान दिव्यांग कर्मचारियों को उनकी सुविधा के अनुसार काम करने का अवसर प्रदान करेगा।
ट्रांसफर की अवधि में कमी:
- पिछले 5 सालों में सबसे कम समय: इस बार ट्रांसफर की अवधि पिछले 5 सालों में सबसे कम रही है।
- पिछले वर्षों की तुलना: पिछले वर्षों में यह अवधि 20 दिन से 35 दिन के बीच रही थी। 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण ट्रांसफर प्रक्रिया प्रभावित हुई थी।
नई नीति के प्रमुख बिंदु:
- अनुसूचित क्षेत्रों को प्राथमिकता: नई नीति में अनुसूचित क्षेत्रों के खाली पदों को भरने को प्राथमिकता दी गई है। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में पद खाली रहने की स्थिति में अन्य विभागों से कर्मचारियों को यहां स्थानांतरित किया जा सकता है।
- ट्रांसफर पर रोक: यदि किसी कर्मचारी का ट्रांसफर सरकारी प्रक्रिया से हो रहा है, तो इस आधार पर उसका तबादला रोका भी जा सकता है। यह प्रावधान शायद उन मामलों में लागू होगा जहां किसी विशेष विभाग में कर्मचारियों की कमी हो।
- निर्माण और नियामक विभाग: निर्माण और नियामक विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए भी कुछ विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, जिन कर्मचारियों ने पिछले साल के लक्ष्य पूरे किए हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जा सकती है।
- खाली पदों को भरना: खाली पदों को भरने, प्रमोशन और प्रतिनियुक्ति से वापसी के मामलों में संबंधित विभाग फैसला करेगा। यह अधिक लचीलापन प्रदान करेगा और प्रशासनिक आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा करेगा।
- महिलाओं की पोस्टिंग: जहां लिंगानुपात कम है, वहां महिलाओं की पोस्टिंग को प्राथमिकता दी जाएगी। यह निर्णय लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
विभिन्न कैडरों में ट्रांसफर की संख्या:
नई नीति में विभिन्न कैडरों में ट्रांसफर की संख्या भी निर्धारित की गई है। उदाहरण के लिए:
- 200 कर्मचारियों वाले कैडर: इन कैडरों में 20% कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जा सकता है।
- 201 से 2 हजार कर्मचारी वाले कैडर: इन कैडरों में 10% कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जा सकता है।
- 2 हजार से अधिक कर्मचारी वाले कैडर: इन कैडरों में 5% कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जा सकता है।
विभागवार ट्रांसफर की संख्या:
नई नीति के अनुसार, विभिन्न विभागों में ट्रांसफर की संख्या भी निर्धारित की गई है। उदाहरण के लिए, खाद्य एवं नापतौल विभाग में नापतौल निरीक्षक, खाद्य विभाग में खाद्य निरीक्षक, उप पंजीयकों के कैडर में 40 से ज्यादा ट्रांसफर किए जा सकते हैं।
विभागवार ट्रांसफर की सीमा:
- खाद्य एवं नापतौल विभाग: इस विभाग में नापतौल निरीक्षक, खाद्य निरीक्षक, उप पंजीयक आदि पदों पर 40 से अधिक ट्रांसफर नहीं होंगे।
- तहसीलदार, नायब तहसीलदार आदि: इन पदों पर ट्रांसफर की संख्या 100 से 200 के बीच रखी जाएगी।
- आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति विभाग: इस विभाग में 6 हजार से 10 हजार कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जाएगा।
- लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग: इस विभाग में डॉक्टर, कंपाउंडर, नर्सिंग स्टाफ आदि के ट्रांसफर की संख्या 4 हजार से 5 हजार के बीच रखी जाएगी।
- राजस्व विभाग: इस विभाग में पटवारी समेत अन्य कर्मचारियों के ट्रांसफर की संख्या 2 हजार से 4 हजार के बीच रखी जाएगी।
- वन विभाग: इस विभाग में 4 हजार से 5 हजार के बीच कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे। इनमें रेंजर से लेकर निचले स्तर तक के अफसर होंगे।
- उच्च शिक्षा विभाग: इस विभाग में प्रोफेसर, सहायक प्राध्यापक समेत अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों के ट्रांसफर की संख्या 3 से 4 हजार होगी।
- अन्य विभाग: बाकी विभागों में कुल 10 हजार ट्रांसफर हो सकते हैं।
मध्य प्रदेश में तबादला नीति का इतिहास:
- 1980 में पहली नीति: मध्य प्रदेश में पहली तबादला नीति अर्जुन सिंह सरकार के समय 1980 में बनी थी।
- 2016 में बड़ा बदलाव: 2016 में इस नीति में बड़ा बदलाव किया गया था। इस बदलाव के तहत शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी अलग से जारी की गई।
- शिक्षा विभाग में अलग नीति: शिक्षा विभाग के कैडर की संख्या करीब 5 लाख है, इसलिए इस विभाग के लिए अलग से तबादला नीति बनाई गई।
- 1 जुलाई से नए शैक्षणिक सत्र: नए शैक्षणिक सत्र को ध्यान में रखते हुए पहले मार्च-अप्रैल में तबादले होते थे।
वर्तमान स्थिति:
- स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले नहीं: मंत्रालय में पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक, स्कूल शिक्षा विभाग में अभी तबादले नहीं होंगे।
- अन्य विभागों में तबादले: अन्य विभागों में तबादलों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
क्यों हो रहा है देरी:
स्कूल शिक्षा विभाग में तबादलों में देरी होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- शिक्षकों की संख्या: शिक्षा विभाग में कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है, इसलिए तबादलों की प्रक्रिया जटिल हो जाती है।
- नई शिक्षा नीति: नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद शिक्षा विभाग में कई बदलाव किए जा रहे हैं, जिसके कारण तबादलों में देरी हो रही है।
- कोविड-19 महामारी: कोविड-19 महामारी के कारण शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है, जिसका असर तबादलों की प्रक्रिया पर भी पड़ा है।
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादले फिलहाल स्थगित रहेंगे।
कारण:
- उच्च पद का प्रभार देने की प्रक्रिया: शिक्षा विभाग में उच्च पदों पर प्रभार देने की एक प्रक्रिया चल रही है जो अगले 25 दिन तक चलेगी। इस प्रक्रिया में शिक्षकों को उच्च पद के साथ-साथ नया स्कूल भी आवंटित किया जा रहा है।
- खाली पदों का आंकड़ा: इस प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही राज्य में खाली पदों का सटीक आंकड़ा उपलब्ध होगा। इसके बाद ही यह निर्णय लिया जाएगा कि तबादले किए जाएं या नहीं।
- बोर्ड परीक्षाएं: फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं और स्थानीय परीक्षाएं होने वाली हैं। ऐसे में शिक्षकों को परीक्षा परिणाम सुधारने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- तबादलों का असर: यदि अभी तबादले किए जाते हैं तो इससे पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि:
उच्च पदों पर प्रभार देने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही खाली पदों का आंकड़ा उपलब्ध होगा और तबादलों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।